Tuesday, 21 February 2023

ग़ज़ल

 मेरे दर्दे दिल को पिघलने दो ज़रा,

नज़रों को नज़र से मिलने दो ज़रा


गम का सूरज सर पे चढ़ आया है,

खुशियों की बदली, बरसने दो ज़रा


हाँ, मुझ तक नहीं पहुँचती,राह तेरी,

चले जाना,पल भर, संभलने दो ज़रा.


है खबर इसे भी,क्या दवा है मर्ज की,

इसबीमारदिल को पर,बहलने दो ज़रा.


कभी जमाने का ख़ौफ़,कभी रुसवाई का डर,

जीना है गर,ये मंज़र,बदलने दो ज़रा.


ब्रजेश

14/02/2007