आज आँख फिर पुरनम है,
ये उदासियों का मौसम है...
यादों की बदली बरसाके गया,
ये हवा भी,कितनी बेरहम है?
वही गाँव, वही गलियाँ- चौराहे,
आज भी मेरा, तू ही हमदम है.
ग़मे-इश्क ने बर्बाद होने ना दिया,
मेरेजख्मेदिल का यहीतो मरहम है.
आ,भूले से कभी,मेरी महफ़िल में,
साजे दिल पे,तन्हाइयो का सरगम है.
ब्रजेश
11/02/2013
ये उदासियों का मौसम है...
यादों की बदली बरसाके गया,
ये हवा भी,कितनी बेरहम है?
वही गाँव, वही गलियाँ- चौराहे,
आज भी मेरा, तू ही हमदम है.
ग़मे-इश्क ने बर्बाद होने ना दिया,
मेरेजख्मेदिल का यहीतो मरहम है.
आ,भूले से कभी,मेरी महफ़िल में,
साजे दिल पे,तन्हाइयो का सरगम है.
ब्रजेश
11/02/2013