Saturday, 16 February 2013

ये उदासियों का मौसम है...

आज आँख फिर पुरनम है,
ये उदासियों का मौसम है...

यादों की बदली बरसाके गया,
ये हवा भी,कितनी बेरहम है?

वही गाँव, वही गलियाँ- चौराहे,
आज भी मेरा, तू ही हमदम है.

ग़मे-इश्क ने बर्बाद होने ना दिया,
मेरेजख्मेदिल का यहीतो मरहम है.

आ,भूले से कभी,मेरी महफ़िल में,
साजे दिल पे,तन्हाइयो का सरगम है.

ब्रजेश
11/02/2013

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