तपश्चर्या
मैं हवा में अपनी उंगलियों को दौड़ाता हूँ,
तुम्हारी मनोहारी तस्वीर उकेरता हूँ.
इस तस्वीर में चिर संचित कल्पनाओं के रंग भरता हूँ.
तुम्हारे चतुर्वणी नाम-मंत्र को उच्चारता हूँ-
अपने आँसुओं का अर्घ्य अर्पित करता हूँ.
आँखे मूंद तुम्हारा आवाहन करता हूँ,
तुम स्मितमुख प्रगट हो आती हो.
मेरी तस्वीर में प्राण-प्रतिष्ठा हो जाती है.
मेरी तपश्चर्या पूर्ण होती है,
मेरी साधना सफल होती है.
मैं किसी अघोड़ की तरह अट्टहास करता हूँ,
उन्मत्त हो नृत्यरत हो जाता हूँ,
मैं अलौकिक हो जाता हूँ,
मैं शंखनाद करता हूँ-
तापत्रय मुझसे दूर भाग खड़े होते हैं,
मैं निष्कलुष हो जाता हूँ,
सत् चित आनंद.
ब्रजेश
19/08/2012
मैं हवा में अपनी उंगलियों को दौड़ाता हूँ,
तुम्हारी मनोहारी तस्वीर उकेरता हूँ.
इस तस्वीर में चिर संचित कल्पनाओं के रंग भरता हूँ.
तुम्हारे चतुर्वणी नाम-मंत्र को उच्चारता हूँ-
अपने आँसुओं का अर्घ्य अर्पित करता हूँ.
आँखे मूंद तुम्हारा आवाहन करता हूँ,
तुम स्मितमुख प्रगट हो आती हो.
मेरी तस्वीर में प्राण-प्रतिष्ठा हो जाती है.
मेरी तपश्चर्या पूर्ण होती है,
मेरी साधना सफल होती है.
मैं किसी अघोड़ की तरह अट्टहास करता हूँ,
उन्मत्त हो नृत्यरत हो जाता हूँ,
मैं अलौकिक हो जाता हूँ,
मैं शंखनाद करता हूँ-
तापत्रय मुझसे दूर भाग खड़े होते हैं,
मैं निष्कलुष हो जाता हूँ,
सत् चित आनंद.
ब्रजेश
19/08/2012
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