Friday, 13 July 2012

रंग...

रंग...
रंग उन्माद के,
रंग...
रंग दहशत के,
रंग...
रंग अविश्वास के,
अलग अलग रंगों से सराबोर लोग,
अलग-अलग रंगों के झंडे ढो रहे लोग,
उबलते हुए रंग,
रंग
हरा रंग, नीला रंग, लाल रंग, गहरा लाल रंग, केसरिया रंग...
हर किसी ने एक रंग का अपने लिए वरण कर लिया है..
मुझे नहीं रंगना एकाकी रंग से...
मैं इंद्रधनुष के सपने देखता हूँ...
सारे रंग अपने पूरे अस्तित्व के साथ
साथ खड़े..
एक-दूसरे की गलबाहियाँ करते.

ब्रजेश
29/05/2012

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