Friday 26 October 2012

मतलब-बेमतलब. यह द्वंद्ध है मेरे मन में. पिघले हुए उष्ण लोहे सा यह बह रहा है मेरे अन्तस्तल पर. इस द्वंद्ध को आपसे साझा कर शायद कोई निकास का मार्ग प्रशस्त हो. उफ़..,यह आतप्त पिघलता लोहा........ मेरे कर्ण द्वय यह सुन-सुन कर पक चुके हैं की यह दुनिया मतलब की है. मेरा एक अज़ीज दोस्त, जो पुलिस महकमे में एक बड़ा अधिकारी है, गाहे-बगाहे तर्कों-कु-तर्कों के बोझ तले मुझे दबा देता है. मैं कराहता हूँ-हाँ,भई 
हाँ, यह दुनिया सिर्फ़ मतलब की ही है. फिर देह झाड़-पोछ कर खड़ा होता हूँ और मिमियाता हूँ- ना भई ना, संपूर्ण जीव-जगत, चर- अचर में कुछ तो है जो 'बे'मतलब है. कुल मिलाकर मतलब दहाड़ता है और बेमतलब मिमियाता है.
इस पूरे सन्दर्भ में मतलब के मतलब को समझा जाना ज़रूरी है.यह मतलब अर्थ (Meaning) वाला नहीं है, बल्कि स्व-हित अथवा स्व-अर्थ से ताल्लुक वाला है. सोचता हूँ, यदि सारा कुछ मतलब से चालित हो, तो संबंधों की बुनियाद भला मजबूत हो सकता है क्या? माँ-बाप का प्रेम और स्नेह उनके किसी मतलब की सिद्धि का साधन होता है क्या ? कैशोर्य का पहला-पहला प्यार, बिना मिलावट का विशुद्ध प्रेम, किसी मतलब का मोहताज होता है क्या? कॉलेज के प्रांगण में घंटों बैठकर यार-दोस्तों से बेमतलब की बातों का क्या मतलब होता है भला? मतलब के रिश्तों में हितों के सधने पर खुशी होती है. बेमतलब के रिश्ते अपने आप में ही खुशी की गारंटी होते हैं. मतलब अपने क्षुद्र घेरे में इंसान को बाँध कर रखता है. बेमतलब उसे आज़ादी देता है , अपने से उबरकर औरों तक पहुँचने की. विमान की परिचारिकाओं की कृत्रिम मुस्कुराहट मतलब है तो किसी शिशु की बेलौस किलकारी बेमतलब. मतलब अपने पीछे दौड़ाते-भगाते , ह्फ़ँते रहता है तो बेमतलब चित्त को प्रशांत करता है. मतलब कृपण है, तो बेमतलब उदात्त. मतलब याचक है तो बेमतलब दाता. मतलब उद्विग्नता है तो बेमतलब विश्रान्ति. मतलब व्याधि है तो बेमतलब औषधि.
मतलब से मतलब रखा जाना एक हद तक ज़रूरी है, पर, बेमतलब से मतलब रखना और भी ज़्यादा ज़रूरी है. यह बेमतलब अवसाद और यंत्रणा के क्षणों में दर्द निवारक मरहम जैसा है. आप जिंदगी के किसी मोड़ पर निम्नतम स्तर पर हों और निढाल पड़े हों, तो यह बेमतलब आपके बदन को सहलाता है, राहत पहुँचाता है और आहिस्ते से , सुकून भरी नींद के दरवाजे पर पहुँचाता है.

No comments:

Post a Comment